मन

जिसने अपने मन को जीत लिया है, उसे कोई भी हरा नहीं सकता।

इसलिए तो कहा जाता है कि “जिसने मन जीता, उसने जग जीता”।

कोई भी व्यकित के, बुरे मनसूबे उस व्यकित पर काम नहीं करते, जिसका मन काबू में हो। जो खुद के मन का मालिक है, उसे कोई भी फर्क नहीं पड़ता है, उसे कोई भी गुलाम नहीं बना सकता।

अपने मन पर विजय प्राप्त कर के, शांतिपूर्ण जीवन जी सकते है। अपने विकारों पर विजय प्राप्त करना चाहिए, इच्छाओं को काबू में करना चाहिए, परोपकार में भी समय थोड़ा बिताना चाहिए, अपने डर पर काबू पाना चाहिए। ये सब हम कर सकते है, अगर प्रयत्नशील रहेंगे।

इसलिए हमें मन को एक दिशा में ढालकर चलना चाहिए, मकसद से ज़िंदगी जीएगे तो ज़िंदगी कभी उलझ नहीं जाएगी, एक दिशा में चलेंगे तो ज़िंदगी दिशाहीन नहीं होगी।

मन पर विजय प्राप्त करने के लिए ही ध्यान, प्राणायाम, अच्छी पुस्तकों का वाचन, तंदुरुस्त जीवन शैली, एसे बहुत सारे कार्यो पर ज़ोर दिया गया है।

10 thoughts on “मन

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  1. Childhood days ki classic poem

    “Hum ko mann-ki-shakti dena,
    Mann vijay karey,
    Doosrou ki jai se pehle,
    Khud-ki-jai karey.”

    Yeh yaad aa gyi.

    Aapke words selection bahut achhe h, aapke messages point-to-point hotey hai.

    Good work👍

    Keep growing. 🌼🌼🌼

    1. बहुत ही आभार, उत्साह बढ़ाने के लिए।

      “हमको मनकी शक्ति देना” प्रार्थना बहुत पसंद है मुझे।

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