शुक्रिया अदा करना चाहूंगी तुम्हारा!
तुने ही मुझे आकार दिया।
मेरे अल्हड़पन को
प्यार और सम्मान की
ठंडक देती हुई
गिली मिट्टी को
और थोड़ी शिस्तता लाने के लिए
सख्ती के रवैये की
आग में ढालकर
समझ का आकार दिया।
शुक्रिया अदा करना चाहूंगी तुम्हारा!
तुने ही मुझे नया रूप दिया।
Leave a Reply