प्रेम अगर दवा है तो मर्ज भी है।
प्रेम अगर सुकून है तो बैचेनी भी है।
प्रेम अगर खुशी है तो दर्द भी है।
प्रेम अगर मजा है तो सजा भी है।
प्रेम अगर अमृत है तो विष भी है।
प्रेम हमारे जीवन में कई रूप लेकर आता है,
न जाने किसको, किस रूप में मिल जाए।
जीवन के हर मोड़ पर कुछ नया लेकर आता है।
आपका व्यख्यातं गुण सराहनीय है बहना।
तहेदिल से शुक्रिया ☺️🙏 मुझे यह सुनकर बहुत ही प्रेरणा मिली।🙏🙏
लिखते रहिये 🙏
बात तो सही है आपकी पर प्रेम दिव्य होता है। बस पता होना चाहिए प्रेम कब, कहां और किससे करना है। कुछ लोग गलत वक्त पर आकर्षण को प्रेम समझ लेते है तब प्रेम अमृत जैसा लगता है और हकीकत सामने होने पर विष कि तरह लगता है।
यह तो बिलकुल सच है कि प्रेम दिव्य ही है, यह तो एक सत्य है, पर हम बैचेनी, मर्ज, कड़वे किस्से ,इन सबसे पसार होकर, स्वीकार करकर आगे बढ़ते है, तब जाकर प्रेम की दिव्यता का अनुभव करने में सक्षम बनते है। और नि:स्वार्थ प्रेम तब ही हो सकता है। और कई बार अति मोह और ज्यादा लाड़ प्यार से भी प्रेम की दिव्यता दब जाती है।
Bahut badhiya
☺️
सुन्दर लिखा है प्रेम के बारे में |
अंतिम लाइनें हैं :
प्रेम हमारे जीवन में कई रूप लेकर आता है,
न जाने किसको, किस रूप में मिल जाए।
जीवन के हर मोड़ पर कुछ नया लेकर आता है।
सोचता हूँ प्रेम का रूप बदलता है या समय और परिस्तिथि के कारण हमारा “प्रेम” की तरफ नजरिया बदलता है |
हमारी “प्रेम” की परिभाषा बदलती है ?
प्रेम की तो एक ही परिभाषा होती है, पर अनुभव के हिसाब से उसे आकार या रूप मिलता है। जैसे पानी को जिस बर्तन में डालेंगे, वैसा ही आकार धारण करता है, वैसा ही प्रेम के साथ होता है।
हर मनुष्य भिन्न है, वैसे ही अनुभव भी भिन्न होते है , हमारे जीवन में।
कुछ तामसिक प्रवृत्ति के लोग, हमारे अपने होगे, वो कुछ अलग अनुभव देंगे और कुछ सात्विक प्रवृत्ति के लोग से अलग अनुभव।
ज़िंदगी के ९ रस है, वैसे ही प्रेम के भी अलग अलग रस है।
कई बार प्यार बंधन का कारण बनता है और कई बार मुक्ति का। हर अनुभव, अलग आकार।
पर मैं तो मानती हूं, प्रेम दिव्य ही है, हमारे अपनो, सबको सिर्फ बांटो, अपेक्षा रखे बिना, ये सब अनुभवों से उपर उठकर, जो सरल नहीं है, पर प्रयत्न करे तो कठीन भी नहीं।
आपने बहुत ही अच्छे शब्द लिखे, परिभाषा के, तो और लिखने की प्रेरणा मिली मुझे।☺️🙏
वाह!
सही है कि प्रेम की परिभाषा तो एक ही है | ये तो हम हैं की सुविधानुसार उसे बदलते रहते हैं |
लग रहा है मानों आपने मेरी मन की और मेरी कही बात को विस्तृत रूप दे दिया हो!
बहुत सुन्दर टिप्पणी | साधुवाद आपको |
मुझे बहुत ही खुशी मिली, आपसे यह बात करकर।☺️🙏
Great feeling!!
Thank you dear 😊
Bahut gahri bhavna