डर को हरा दे

तुने राह चुन ही ली है,
तो राह पर चलने में,
संदेह क्यों करता है?

मन में विश्वास जगा दे,
मन से डगमगाना क्यों?

राह ढूंढने में मेहनत की है,
तो राह पर चलने की मेहनत से,
घबराहट क्यों महसूस करता है?

मन में विश्वास जगा दे,
मन से डगमगाना क्यों?

मन को बुलंदकर,
डर को हराकर,
राह पर आगे क्यों नहीं बढ़ता है?

मन में विश्वास जगा दे,
मन से डगमगाना क्यों?

10 thoughts on “डर को हरा दे

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