हैरानी से पूछा करते हैं कुछ लोग मुझे,
तुम हमेशा मुस्कान लिए ही फिरते रहते हो,
उदास नहीं होते क्या कभी?
तो मैंने मुस्कुराते हुए ही बोला।
हूजूर उदास तो हम भी होते है।
ज़माने ने हमें भी रुलाया है।
पर हमने रोता हुआ दिल
और होठो पर मुस्कान,
ये दोनों एक साथ पेश करने का,
हुनर पा लिया।
सब तो मुस्कान ही देखते हैं
और उसकी चमक में खो जाते है।
बस एक-दो गिने-चुने शक्स हैं,
जो रोता हुआ दिल भी देख लेते है।
बहुत ही खूबसूरती से लिखा है ।उम्दा।
जो कहते तुम हँसते रहना
जख्म उन्हें दिखलाऊँ कैसे,
गैरों की इस महफ़िल में हम
अपना दर्द सुनाऊँ कैसे।
धन्यवाद मधुसूदन जी☺️
आपकी पंक्तीया एसी है जिसमे खो जाने का ही मन होता रहे।
सुक्रिया आपका।
आपकी कविता पढ़ कुछ शब्द आये और पद बन गए —-सुक्रिया आपका।
जो कहते तुम हँसते रहना
जख्म उन्हें दिखलाऊँ कैसे,
गैरों की इस महफ़िल में हम
अपना दर्द सुनाऊँ कैसे?
जुल्मों की फेहरिश्त बड़ी है,
किसको भूलें याद करें,
अंतर्मन में नीरनिधि फिर
आँसूं की क्या बात करें,
कदम कदम पर ठोकर खाकर
मोम भला रह जाऊँ कैसे,
तेरा दिल नफरत का घर फिर,
अपना प्रेम दिखाऊँ कैसे।
🙏🙏🙏👏👏
आस हो क्या गया है….जहाँ भी पढ़ रहा हूँ केवल आँसू हि पढ़ने को मिल रहा है
वैसे आपने भी बेहद खूबसूरत लिखा है
बहुत खूब कहा आपने भी, सच्चाई आज की।
Very good expression of heart.
वो कहते है न
मुस्कुरा के गम का ज़हर जिनको पीना आ गया ये हकीकत है कि जहां में उनको जीना आ गया।
आपने बहुत ही खूबसरती से लिखा है।
हा बिलकुल सच कहा।
सराहना के लिए दिल से शुक्रिया 😊
👍