किस्से क्या कहे उन नादान परिंदों के,
अनगिनत किस्से है नादानी के।
हूजूर गर फरमाने को बोलो उनकी समझदारी के किस्से,
तो शायद ही कोई निकल आए।
किस्से क्या कहे उन नादान परिंदों के,
अनगिनत किस्से है नादानी के।
हूजूर गर फरमाने को बोलो उनकी समझदारी के किस्से,
तो शायद ही कोई निकल आए।
तो शायद ही कोई निकल आए।
or
तो शायद कोई निकल ही आए।
I like the second one,too.
नाद़ान ही तो हैं ,एक नहीं हजार अफ़साने निकल आयेंगे…..
वाह!
You are most welcome🌹🌹🌹🌹🌹