नयी सुबह

जो आरजू थी मेरी,
उसको पा लिया।

पाने के बाद की,
पहली सुबह आई।

तो कुछ एसा
हाल हुआ हमारा।

नयी किरण लेकर,
नयी सुबह आई।

कैसा है खिला नया जहां,
जिसमें है नूर नया।

जुमु मै, नाचु मै, गाउ मै,
खिलखिलाती जाउ मै।

नया दौर है ये,
जिसमे है नयी सुबह।

8 thoughts on “नयी सुबह

Add yours

  1. bahut hi umda……apki rachnayen padh raha hun aur meri kavitawon ke mukhde bante jaa rahen hain…….kyaa kahne.

    चाँद वही धरती,सूरज भी,
    खुशियां क्या समझाऊं कैसे,
    तुम आये संग बदल गया सब,
    क्या बदला बतलाऊँ कैसे|

    1. ये तो बहुत खुशी की बात है मेरे लिए
      कि आप को प्रेरणा मिले कविता बनाने की😊😊

Leave a Reply

Up ↑

Discover more from Harina's Blog

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading