जैसे मौत के डर से कोई जीना नही छोड़ देता,
वैसे डर डर के जीने में, क्या रखा है दोस्त?
मर मर के जीने में, क्या रखा है दोस्त?
खोल तु बाहें और देख,
ताकत (हिंमत) देकर ही बनाया है तूझे,
ढूंढ वो ताकत अपने अंदर,
बढ़ा हौसला अपने अंदर,
और हरा दे अपने डर को।