गणेश विसर्जन मंत्र और संदेश

यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय पार्थिवीम।
इष्टकामप्रसिद्य्दयर्थ पुनरागमनाय च।।

मंत्र का अर्थ:-

हे भगवान गणेश, आपकी हम एक मूर्ति के (पार्थिव) स्वरुप में पूजा कर रहे हैं, मुझ पर कृपा करके, मेरे प्रसाद को स्वीकार करे और मुझे आशीर्वाद दे कि मेरी इच्छाएं पूरी हो और आप अगले बरस जल्दी फिर से आना।

विसर्जन प्रथा में छिपा हुआ है संदेश:-

विसर्जन शब्द संस्कृत भाषा से आया है, “वि” और “सर्जन” एसे दो अलग-अलग शब्द से बना हैं विसर्जन। “वि” के कई अर्थ हैं, उसमें से एक अर्थ है – “मजबूत होने के लिए” और सर्जन का अर्थ “निर्माण” ( बनने की प्रक्रिया) होता है।

चक्रीय प्रक्रिया:-


हमारा जीवन एक चक्रिय प्रक्रिया है।
हम सब अपने जीवन में कठिन परिस्थितियों का और दिल पर भावनात्मक घाव के शिकार होते ही हैं, एसी परिस्थितियां हमे पूरा का पूरा तोड के रख देती हैं, हम निराशा में डूबते ही हैं, हर एक व्यक्ति एसी परिस्थिति में होता ही है, यह एक सत्य है।

किन्तु यह भी एक सत्य है कि हम बिखर जाते हैं, तो फिर से जुडते भी हैं और एसे जुडते हैं कि पहले से ज्यादा मजबूत होते है, जीवन की हर चोट, हमें पहले से ज्यादा समझदार बनाती है, हमारी बुद्धि और तेज़ हो जाती है, जीवन जीने की समझ और बढ़ जाती है।

अगर कभी आप बिखर जाए तो उस परिस्थिति को अवरोध मानकर गणेश जी से प्रार्थना करे कि, ” हे विघ्न हर्ता, जैसे विसर्जन के समय आप की मूर्ति, पानी में पिगल (बिखर) जाती है, परंतु अगले बरस फिर से, नया और सुंदर स्वरुप लेकर आती है, वैसे ही मेरी निराशा को दूर करकर, मुझे हिंमत दे, मैं भी और मजबूत बन जाउ और मेरे नये व्यक्तित्व का निर्माण करके फिर से अपना जीवन खुशी से जी सकु

हमारे सनातन धर्म में ( हिंदू धर्म- यह नाम बाद में आया) हमारे मन को मजबूत बनाने में और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने पर महत्व दिया गया है, इसी वजह से, सारे हमारे त्योहारों और प्रथा या परंपरा के पीछे कोई न कोई सीख है, जिसे समझकर त्योहारों को मनाना है और जीवन को जीना है।

14 thoughts on “गणेश विसर्जन मंत्र और संदेश

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  1. बहुत बहुत धन्यवाद, आपको यह पोस्ट इतनी पसंद आई। मेरा नाम हरिना पंड्या है।😊🙏

    1. जय श्री कृष्णा, राधे राधे नन्दन जी 🙏 वृन्दावन तो जैसे पावन भूमि है। मैं बड़ौदा, गुजरात से हु।

      1. सही बात है आपकी, वृन्दावन की तो बात ही कुछ निराली है। मेरी जन्मभूमि बड़ौदा है, पर अभी कर्मभूमि ओस्ट्रिलीया है।

      2. ओहो! मै अभी मेरा सारा समय मेरे लिखने के शोख पर ही पसार कर रही हू😊 आप क्या करते है?

      3. बहुत ही अच्छा, आप मल्टीटास्किंग करते हैं, काबिल-ए-तारीफ। हरि चर्चा तो सबसे उपर है, सही कहा आपने। आपसे बातें करकर अच्छा लगा।🙏🙏

    2. शुक्रिया आपका।😊😊🙏🙏
      मूझे भी हमारे शास्त्रों और पुराणों के स्त्रोत की जानकारी पाकर बहुत खुशी मिलती है, भगवान के स्त्रोत, जो संस्कृत में होते हैं, उसका अर्थ जानकर भगवान की भक्ति करना पसंद है और ब्लॉग के माध्यम से सभी को अर्थ पहुंचाना बेहद पसंद हैं, हमारे धर्म ग्रंथों की सारी जानकारी पाना पसंद है।

      1. जी जरूर। कोई विषय होगा, तो बताऊंगी। भाषाएं तो मूझे अंत्यंत प्रिय है, सराहने के लिए बहुत धन्यवाद।

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