जब तक आप अनुकूल परिस्थितियो की सीमा में ही रहेगे, तब तक आप अपने सपनो को पूरा करने का रास्ता नही ढूंढ सकते।
प्रतिकुल परिस्थितियो को हराकर ही सपनो को जीता जा सकता है।
जब तक आप अनुकूल परिस्थितियो की सीमा में ही रहेगे, तब तक आप अपने सपनो को पूरा करने का रास्ता नही ढूंढ सकते।
प्रतिकुल परिस्थितियो को हराकर ही सपनो को जीता जा सकता है।
Nycc
On Mon, Sep 9, 2019, 12:50 PM Harina Pandya Blog wrote:
> harinapandya posted: ” जब तक आप अनुकूल परिस्थितियो की सीमा में ही रहेगे, > तब तक आप अपने सपनो को पूरा करने का रास्ता नही ढूंढ सकते। प्रतिकुल > परिस्थितियो को हराकर ही सपनो को जीता जा सकता है। ” >
LikeLiked by 1 person
👌👌👌
Sach kaha
LikeLiked by 1 person
Dhanyavad 😀
LikeLiked by 1 person
सही कहा, हरिना
उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथै:
नहि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद आपका 😀
संस्कृत सुभाषित पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा, मूझे बेहद पसंद है, संस्कृत भाषा में लिखे हुए सुभाषित, मंत्र, स्त्रोत और जीवन की बातें पढ़ना।
LikeLiked by 1 person
☺️🤗
LikeLike