शिव मेरे शिव (Podcast)

शिव मेरे शिव,
आप को सत् सत् वंदन।
आप ही भोलेनाथ और आप ही महादेव,
आप ही महाकाल और आप ही आदिदेव।

रूप अनेक है मेरे शिव के,
सौम्य रूप भी आपका,
रौद्र रूप भी आपका,
नटराज रूप भी आपका।

तीन हैं नेत्र शिव के,
भस्म है तन पे शिव के,
वस्त्र है बाघ खाल का तन पे शिव के,
सर्प है गले में शिव के।

रुद्राक्ष माला है जटाओं पर शिव के,
गंगा भी बहती जटाओं में शिव के,
चंन्द्र है मस्तक पर शिव के,
त्रिशूल और डमरू हैं कर में शिव के।

है देवता संहार के,
करते है मन के अंधकार का संहार।
जो जाए शरण में उनकी,
देते है रौशनी भक्ति की।

शिव मेरे शिव,
आपको सत् सत् वंदन।
आप ही नीलकंठ और आप ही गौरीशंकर,
आप ही रुद्रदेव और आप ही शंकर।

15 thoughts on “शिव मेरे शिव (Podcast)

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  1. शिव बिन मैं शव
    राम के आराध्य रामेश्वर हो तुम
    रावण के आराध्य रूद्र हो तुम
    विष्णु के ह्रदय से निकलने वाले भुवनेश्वर हो तुम
    शैंकी के सर्वेश्वर हो तुम
    प्रचंड हो तुम
    तांडव हो तुम
    गर्जना हो तुम
    मौन हो तुम
    सुख जिसे सुखी कर ना सके
    दुख जिसे दुखी कर ना सके
    वह दिव्य ज्ञान हो तुम
    भोले हो तुम
    इसलिए नाथों के नाथ भोलेनाथ हो तुम
    अंधकार हो तुम
    उसको चीरता हुआ प्रकाश हो तुम
    आपको पता है मेरे भोलेनाथ बहुत हि प्यारे है……महादेव का जब भी, जहा भी जिक्र होता है मेरे आँखों से आँसू बह चलते है…..आपकी पंक्तियों में मेरे महादेव है आपकी भावनाएँ मेरे गुरुदेव के लिए छलक रही है……..हरि ऊँ नम: शिवाए………..

    1. हर हर महादेव🙏🙏

      आपकी रचना से आपका भक्ति भाव छलक रहा है।

      मैं भी शिव भगवान को बहुत मानती हूं, मेरी भावनाएं मैंने प्रगट करने का प्रयास किया।

      ओम् नमः शिवाय।🙏🙏

      1. हमारे महादेव है हि इतने प्यारे……जो जीव उन्हें मानता है वह स्वयं शिव हो जाता है……और जो नहीं मानता है वह शव बन जाता है और जला दिया जाता है। मैंने आपकी कविता एक बार फिर से सुनी सच में बहुत हि बेहतरीन है🌸😊

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