पूर्व युग में भगवान को पूजते थे,
और आज के युग में पैसों को पूजते है।
द्वापर युग में तो कृष्ण की लीलाएं थी,
और कलयुग में पैसों की लीलाएं है।
कृष्ण की लीलाएं जैसे,
गोकुल में गायों को चराना,
गोपीयों के घर से माखन चुराकर खाना,
अधर्म जैसी सोच रखनेवाले कंसमामा को हराना,
द्रोपदी के चीर पूरना।
और पैसों की लीलाएं जैसे,
प्रदूषण बढ़ाकर गायों को प्लास्टिक जैसे तत्व खिलाना,
एक भाई दूसरे भाईको भी माखन नहीं देता,
धर्म जैसी सोच रखनेवाले को हराना,
उच्च विचार रखने वाले को राजनीति खेलकर गिराना,
बहन-बेटियों के सम्मान को प्रश्रचिन्ह लगाना?
पूर्व युग में भगवान ही सर्वस्व थे,
आज के युग में पैसा ही सर्वस्व है।
Paiso maro Parmeshwar ane Hu Paisa No Pujari… 💰💰💰
Ekdam sachi vat
Satya vachan
bilkul…..khubsurati se likhaa hai..bahut khub.👌👌
आप को इतना पसंद आया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद्
सत प्रतिशत सत्य कहा आपने। यह सब ज्ञान कि कमी के वजह से होता है……वो कहते है ना “गुरु बिन ज्ञान न ऊपजे, गुरु बिन मिटे न भेद । गुरु बिन संशय ना मिटे, जय जय जय गुरुदेव”……….इस युग में धन को महत्व दिया गया है क्योंकि हम धर्म शास्त्रों का अध्ययन छोड़ दिये है। लोगों को लक्ष्मी कि चाहत है…..सरस्वती कि नहीं……….स्कूल, कॉलेज में हमें विद्यालक्ष्मी का ज्ञान दिया जाता है। जहां धन है वहा कलह है पर जहा ज्ञान है वहा आनंद है।
बिल्कुल सही कहा। गुरु बिन ज्ञान नहीं। आज पैसे ही सर्वस्व है इसलिए मन की शांति की कमी है।