एक प्यारा घर [Poem in Hindi Language]

बनके तितली उड़ गई मैं,
ये जहां से उड़ गई मैं।
उड़ते उड़ते चली गई कही दूर मैं,
दूसरे जहां में पहुंच गई मैं।

वहा एक प्यारा सा घर मिला मुझे,
और प्यारे से लोग मिलें।
सब के दिलों में ना दिवारें थी, ना दुरियां थी,
दिया जलता था तो बस प्यार की ज्योतका।

मेघधनुष के रंगों जैसी, रंगीन दुनिया मिली
एक रंग मिला मुझे खुशी का,
उस रंग मे रंग गई मैं,
और खुशीयां पा गई मैं।
इस खुशी में मेहक उठी मैं,
इस प्यारे से घर मे जीने लगी मैं।

मेघधनुषके रंगो जैसी, रंगीन दुनिया मिली
दूसरा रंग मिला मुझे रौशनी का,
सजा हुआ था घर एक सुंदर तोरण से।
तोरण बना था एक-दूसरे के अरमानों से,
इस रौशनी में चमक उठी मैं,
इस प्यारे से घर मे जीने लगी मैं।

3 thoughts on “एक प्यारा घर [Poem in Hindi Language]

Add yours

Leave a Reply

Up ↑

Discover more from Harina's Blog

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading