बनके तितली उड़ गई मैं,
ये जहां से उड़ गई मैं।
उड़ते उड़ते चली गई कही दूर मैं,
दूसरे जहां में पहुंच गई मैं।
वहा एक प्यारा सा घर मिला मुझे,
और प्यारे से लोग मिलें।
सब के दिलों में ना दिवारें थी, ना दुरियां थी,
दिया जलता था तो बस प्यार की ज्योतका।
मेघधनुष के रंगों जैसी, रंगीन दुनिया मिली
एक रंग मिला मुझे खुशी का,
उस रंग मे रंग गई मैं,
और खुशीयां पा गई मैं।
इस खुशी में मेहक उठी मैं,
इस प्यारे से घर मे जीने लगी मैं।
मेघधनुषके रंगो जैसी, रंगीन दुनिया मिली
दूसरा रंग मिला मुझे रौशनी का,
सजा हुआ था घर एक सुंदर तोरण से।
तोरण बना था एक-दूसरे के अरमानों से,
इस रौशनी में चमक उठी मैं,
इस प्यारे से घर मे जीने लगी मैं।
बेहतरीन लेखन।👌👌
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
LikeLike
Sundar parikalpana!
LikeLiked by 1 person